अमावस्या पर चार प्रहर की पूजा ये भी पढ़ें - इन चीजों को भूलकर भी सिरहाने नहीं रखें, कर देंगी बरबाद
प्रथम
प्रहर में संकल्प लेकर दूध से स्नान तथा ओम हृीं ईशानाय नम: मंत्र का जप
करें। द्वितीय प्रहर में दही स्नान कराकर ओम हृीं अघोराय नम: का जप करें।
तृतीय प्रहर में घी स्नान एवं ओम हृीं वामदेवाय नम: और चतुर्थ प्रहर में
शहद स्नान एवं ओम हृीं सद्योजाताय नम: मंत्र का जाप करें। रात्रि के चारों
प्रहरों में भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने से जागरण, पूजा और उपवास तीनों
पुण्य कर्मों का एक साथ पालन हो जाता है। इस दिन प्रात: से प्रारंभ कर
संपूर्ण रात्रि शिव महिमा का गुणगान करें और बिल्व पत्रों से पूजा अर्चना
करें। रुद्राष्टाध्यायी पाठ, महामृत्युंजय जप, शिव पंचाक्षर मंत्र आदि के
जप करने का विशेष महत्व है। शिवार्चन में शिव महिम्न स्तोत्र, शिव तांडव
स्तोत्र, शिव पंचाक्षर स्तोत्र, शिव मानस पूजा स्तोत्र, शिवनामावल्याष्टक
स्तोत्र, दारिद्रय दहन स्तोत्र आदि के पाठ करने का महत्व है।
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