कहा जाता है कि गया में यज्ञ, श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान
करने से मनुष्य को स्वर्गलोक एवं ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है, गया के
धर्म पृष्ठ, ब्रह्म सप्त, गया शीर्ष और अक्षय वट के समीप जो कुछ भी पितरों
को अर्पण किया जाता है , वह अक्षय होता है। गया के प्रेत शिला में पिंड दान
करने से पितरों का उद्धार होता है। पिंड दान करने के लिए काले तिल, जौ का
आटा , खीर, चावल, दूध, सत्तू आदि का प्रयोग किये जाने का विधान है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पुराणों की
अनुसार पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने के लिए गया से श्रेष्ठ स्थान कोई
दूसरा नहीं है, कहा जाता है कि गया में स्वयं भगवान् विष्णु पितृ देवता के
रूप में निवास करते हैं. गया तीर्थ में श्राद्ध कर्म पूर्ण करने के बाद
भगवान विष्णु के दर्शन करने से मनुष्य पितृ ऋण, माता के ऋण और गुरु के ऋण
से मुक्त हो जाता है. पूर्ण श्रद्धा और विधि-विधान के साथ श्राद्ध और तर्पण
करने से पितृ, देवता, गन्धर्व, यक्ष आदि अपना शुभ आशीर्वाद देते हैं जिससे
मनुष्य के समस्त पापों का अंत हो जाता है।
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