आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। महारास की
रात्रि शरद पूर्णिमा की महिमा का वर्णन प्राचीन धर्मग्रंथों में विभिन्न
रूपों में किया गया है। साल भर की सभी पूर्णिमा में शरद पूर्णिमा ही सबसे
चमकीला और देखने में आकर्षक लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शरद पूर्णिमा के
दिन चंद्रमा 16 कलाओं से सुसज्जित होता है। ये भी पढ़ें - हनुमानजी व शनिदेव के बीच क्या है रिश्ता
वहीं दूसरी और इस दिन चंद्रमा
अपनी सोलह कलाओं के साथ उदित होकर अमृत की वर्षा करते हैं। खीर बना कर शरद
पूर्णिमा की चांदनी में रखना चाहिए और सुबह भगवान को भोग लगाकर सभी को
प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। इसके पीछे मान्यता है कि चांद से बरसा अमृत औषधि
का काम करता है। इससे कफ और पित्त रोग से छुटकारा मिलता है।
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