कई बार हम लोगों से बिना मिले, बिना देखे ही उनके बारे में
धारणा बना लेते हैं, ये धारणाएं कभी सच साबित होती हैं, तो टूटती भी हैं।
ऐसा क्या है जो हमें पूर्व में धारणा बनाने के लिए बाध्य करता है और बाद
में उस पर टिके रहने के लिए भी। ये हैं हमारी शारीरिक चेष्टाएं और शारीरिक
लक्षण। किसी व्यक्ति को देखने के साथ ही हमारे विचार बनने लगते हैं। चाहे
वह अजनबी हो या चिर परिचित। हम कई लोगों के बारे में बिना उनसे बात किए या
बिना उनकी बातों से सहमत या असहमत हुए भी धारणाएं बना लेते हैं। अधिकांशतया
ये धारणाएं सत्य साबित होती हैं और हम सहजता से कह देते हैं कि मैं तो
देखते ही पहचान गया था, लेकिन कई बार धारणाएं टूटती हैं, तब हमें आश्चर्य
होता है कि मैं तो कुछ और समझ रहा था और यह व्यक्ति उससे हटकर निकला। ऐसा
क्या है जो हमें पूर्व में धारणा बनाने के लिए बाध्य करता है और बाद में उस
पर टिके रहने के लिए भी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
स्त्री जातक के अंग लक्षण
स्त्री जातक के संबंध में विवाह को लेकर विचार किया गया है। कई
पुस्तकों में यह माना गया है कि जैसे लक्षण उत्तम पुरुषों में बताए गए हैं,
वैसे ही लक्षण स्त्रियों में भी उत्तम हैं। विवाह के लिए चुनी जाने वाली
स्त्री को लेकर अलग से कई ग्रंथों में बताया गया है। सुंदरता के लक्षण जहां
कालिदास की नायिका से मिलते जुलते हैं। साथ ही कुछ सौभाग्यदायी लक्षणों को
भी जोड़ा गया है। ऐसी स्त्री के शरीर पर बाल न्यून होने चाहिए, वह चलते
समय पैरों से रेत न उड़ाए, आवाज धीमी व मधुर हो।
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