महादेव के सभी भक्तों को रुद्राक्ष धारण करना बेहद जरूरी
है। पुराणों के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पति के सम्बन्ध में कहा गया है कि
एक बार भगवान आशुतोष शंकर जी ने देवताओं एवं मनुष्यो के हित के लिए असुर
त्रिपुरासुर का वध करना चाहा और एक सो वर्षो तक तपस्या की। भगवान के मनोहर
नेत्रों से आंसू गिरे उन्हीं आंसुओं से रुद्राक्ष के महान वृक्षों की
उत्पति हुई| कहते हैं रूद्राक्ष को धारण करने वाला जातक हर तरह के अमंगल
से दूर रहता है। कहते हैं, जो पूरे नियमों का ध्यान रख श्रद्धापूर्वक
रुद्राक्ष को धारण करता है, उनकी सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी
होती हैं। कहा जाता है कि जिन घरों में रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहां
मां लक्ष्मी का वास होता है। यह भगवान शंकर की प्रिय चीज मानी जाती है।
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शिवपुराण, लिंगपुराण, एवं सकन्द्पुराण आदि में इस का विशेष रूप से वर्णन किया हुआ है|
रुद्राक्ष
का स्पर्श, दर्शन, उस पर जप करने से, उस की माला को धारण करने से समस्त
पापो का और विघ्नों का नाश होता है ऐसा महादेव का वरदान है, परन्तु धारण की
उचित विधि और भावना शुद्ध होनी चाहिए|
भोग और मोक्ष की
इच्छा रखने वाले चारो वर्णों के लोगों को विशेष कर शिव भगतो को शिव पार्वती
की प्रार्थना और प्रसंता के लिए रुद्राक्ष जरुर धारण करना चाहिए|
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