कालसर्प दो शब्दों से मिलकर बना है-काल और सर्प। जब
सूर्यादि सातों ग्रह राहु (सर्प मुख) और केतु (सर्प की पूंछ) के मध्य आ
जाते हैं तो कालसर्प योग बन जाता है। जिसकी कुंडली में यह योग होता है उसके
जीवन में काफी उतार चढ़ाव और संघर्ष आता है। इस योग को अशुभ माना गया है।
कुंडली में कालसर्प योग के अतिरिक्त सकारात्मक ग्रह अधिक हों तो व्यक्ति
उच्च पदाधिकारी भी बनता है, परन्तु एक दिन उसे संघर्ष अवश्या करना पड़ता
है। यदि नकारात्मक ग्रह अधिक बली हों तो जातक को बहुत अधिक संघर्ष करना
पड़ता है। यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो घबराएं नहीं, इसके उपाय
आसानी से किए जा सकते हैं और इससे होने वाले कष्टों से निजात पाया जा सकता
है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सबसे सरल उपाय- कालसर्प योग वाला युवा श्रावण
मास में प्रतिदिन रूद्र-अभिषेक कराए एवं महामृत्युंजय मंत्र की एक माला
रोज करें। जीवन में सुख शांति अवश्य आएगी और रूके काम होने लगेंगे।
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