ज्योतिष के अनुसार रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने की पूरी प्रक्रिया के
दौरान सिर्फ बहन को ही व्रत करना जरूरी होता है। बहन अपना व्रत भाई को राखी
बांधने के बाद ही खोलती है। सबसे पहले बहनें भाई के तिलक लगाती हैं। उसके
बाद भाई की आरती उतारती हैं। बाद में बहनें अपने भाई की दाहिनी कलाई पर
राखी बांधकर भाई को मिठाई खिलाती हैं और भाई अपनी बहन की सुरक्षा और खुशी
का वचन लेते हैं। ये भी पढ़ें - क्या होता है पितृदोष व मातृदोष
इस दौरान नहीं बांधी जाए राखी...
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