ज्योतिष में सूर्य-ह्रदय, मुंह, गला व सिर का, चंद्रमा-वक्ष, पेट, मंगल-भुजा और शनि-पैरों का प्रतिनिधित्व करता है। कह सकते हैं कि आभूषण भी ग्रहों को अनुकूल बनाने में खासी भूमिका निभा सकते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ग्रह, भाग्य और आभूषण
ज्योतिष में पैर-शनि का और सूर्य-सिर का प्रतीक है और ये परस्पर शत्रु माने जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य का सिर ठंडा और पैर गर्म रहने चाहिए। इसलिए सिर पर सोना और पैरों में चांदी के आभूषण ही धारण करने चाहिए। इससे सिर से उत्पन्न ऊर्जा पैरों में और चांदी से उत्पन्न ठंडक सिर में जाएगी। इससे सिर ठंडा व पैर गर्म रहेंगे।
सिर में चांदी के व पैरों में सोने के आभूषण नहीं पहनने चाहिए। इससे स्त्रियां अवसाद, पागलपन या अन्य रोगों की शिकार बन सकती हैं।
पैरों में सोने की पायल नहीं पहननी चाहिए, चांदी की पायल पहनने से पीठ, एड़ी व घुटनों के दर्द, रक्तशुद्धि, मूत्ररोग, हिस्टीरिया आदि रोगों से राहत मिलती है।
यश, सम्मान देती है तांबे की धातु ज्योतिष के अनुसार गुरु कान और सोने का प्रतिनिधित्व करता है। अत: सोने की बालियां या झुमके पहनने से स्त्रियों में स्त्री रोग, मासिक धर्म संबंधी अनियमितता, कान के रोग, हिस्टीरिया, डिप्रेशन में लाभ होता है।
जो लोग स्वयं को अन्य लोगों से कमतर महसूस करते हों या फिर उनमें हीन भावना घर कर चुकी हो, ऐसे में उन्हें तर्जनी उंगली में सोने का आभूषण धारण करना चाहिए।
ज्योतिष में गुरु को नेतृत्व क्षमता कारक ग्रह माना गया है और इनकी धातु भी सोना है। ऐसी स्थिति में स्वर्ण उन्हें अनुकूल परिणाम देता है।
जिन्हें समय पर यश, मान-सम्मान नहीं मिले या ह्रदय संबंधी रोग हो ऐसे जातकों को अनामिका में सोने या तांबे की धातु धारण करनी चाहिए।
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