अमृत संजीवनी मंत्र ये भी पढ़ें - कैसे पाएं भरपूर धन! आजमाएं ये 9 तरीके
महामृत्युंजय मंत्र में जहां भगवान
शिव के स्वरुप की व्याख्या करते हुए उसके चमत्कारिक प्रभाव का उल्लेख मिलता
है, वहीं अमृत संजीवनी मंत्र में महामृत्युंजय मंत्र और गायत्री मंत्र को
शामिल किया गया है। अमृत संजीवनी मंत्र एक तरह से महामृत्युंजय मंत्र से
अलग मंत्र है। इसे महामृत्युंजय मंत्र तथा गायत्री मंत्र का मिला-जुला रूप
माना जा सकता है। अमृत संजीवनी मंत्र के पाठ से जहां एक ओर अकाल मृत्य से
सुरक्षा मिलती है, वहीं, स्वास्थ्य, शक्ति, धन-सम्पदा में भी आशातीत लाभ
होता है। महर्षि शुक्राचार्य द्वारा जिस मंत्र का प्रयोग लोक जीवन की रक्षा
के लिए किया गया उसे मृत संजीवनी विद्या के रूप में जाना जाता है। इस
मंत्र के विश्लेषण से ज्ञात होता है कि इसमें महामृत्युंजय मंत्र और
गायत्री मंत्र को समावेशित किया गया है।
यह मंत्र इस रूप में है-
ओम हौं जूं स: ओम भूर्भुव स्व: ओम तत्सवितुरवर्णेयं ओम त्रयम्बकम यजामहे ओम
भर्गोदेवस्य धीमहि ओम सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम ओम धियो यो न प्रचोदयात ओम
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ओम स्व: भूभुव: ओम स: जूं हौं
ओम इस मंत्र का दूसरा रूप भी है।
ओम हौं जूं स: ओम भूर्भुव स्व: ओम त्रयम्बकं यजामहे
तत्सवितुर्वर्णेयं सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम भर्गो देवस्य धीमहि उर्वारुकमिव
बन्धनात
धियो यो न प्रचोदयात, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात स्व: भुव: भु: ओम स: जूं
हौं ओम।
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