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पितृपक्ष में महाबोधि मंदिर बना सनातन व बौद्ध धर्मावलंबियों का संगमस्थल

महाबोधि मंदिर प्रबंध समिति ने भी पिंडदानियों की सुविधा के लिए पूरी व्यवस्था की है। समिति के भंते (बौद्ध धर्म के पुजारी) दीनानंद बताते हैं कि पिंडदान के बाद साफ-सफाई के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती की गई है। इसके अलावा समिति कार्यालय के समक्ष एक सूचना केंद्र स्थापित किया गया, जहां लोग कोई भी सूचना प्राप्त कर रहे हैं।

गयवाल पंडा मनीलाल बारीक ने आईएएनएस को बताया कि स्कंद पुराण के अनुसार, ‘‘महाभारत युद्ध के दौरान मारे गए लोगों की आत्मा की शांति और पश्चाताप के लिए धर्मराज युधिष्ठिर ने धर्मारण्य पिंडवेदी पर पिंडदान किया था। धर्मारण्य पिंडवेदी पर पिंडदान और त्रिपिंडी श्राद्ध का विशेष महत्व है। यहां किए गए पिंडदान और त्रिकपंडी श्राद्ध से प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है।’’

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Web Title-Mahabodhi temple becomes confluence of sanatan and buddha religions in pitra paksha
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