गया (बिहार)। बिहार के गया में पितृपक्ष के मौके पर लाखों हिंदू धर्मावलंबी
अपने पुरखों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान और तर्पण कर रहे हैं। ऐसे
में महात्मा बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया में भी अनूठा संगम देखने को मिल
रहा है। एक ओर जहां महाबोधि मंदिर परिसर में ‘बुद्धं शरणं गच्छामि’ के स्वर
गूंज रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पिंडवेदियों पर मोक्ष के मंत्रों का उच्चारण
हो रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
तीर्थवृत्त सुधारिनी सभा के अध्यक्ष गजाधर लाल ने बताया
कि बोधगया क्षेत्र में ऐसे तो पांच पिंडवेदियां हैं, परंतु तीन
पिंडवेदियां धर्मारण्य, मातंगवापी और सरस्वती प्रमुख हैं।
उन्होंने
बताया कि पुरखों के मोक्ष की कामना लेकर आने वाले श्रद्धालु भगवान बुद्ध
को विष्णु का अवतार मानते हुए महाबोधि मंदिर में भी पिंडदान के विधान को
कालांतर से निभाते आ रहे हैं। सरस्वती (मुहाने नदी) में तर्पण के पश्चात
धर्मारण्य पिंडवेदी पर पिंडदान के दौरान वहां स्थित अष्टकमल आकार के कूप
में पिंड विसर्जित कर यात्री मातंगवापी पिंडदान के लिए निकलते हैं। यहां
पिंडदानी पिंड मातंगेश शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। पिंडदानी विश्व विख्यात
महाबोधि मंदिर के पास एक स्थान पर पिंड छोड़ देते हैं और फिर भगवान बुद्ध
के दर्शन कर वापस चले जाते हैं।
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