बीते मंगलवार अर्थात् मकर संक्रांति 14 जनवरी से माघ मास शुरू हो गया है। माघ मास फरवरी की 12 तारीख तक रहेगा। माघ मास में कुछ महत्वपूर्ण व्रत और पर्व आएंगे, इनमें मौनी अमावस्या (29 जनवरी) माघ की गुप्त नवरात्रि (30 जनवरी से शुरू), माघ पूर्णिमा (12 फरवरी) आएंगे। इस महीने में नदियों में स्नान, तिल का दान और सूर्य पूजा करने की परंपरा है।
माघ मास के बारे में कहा जाता है कि इस मास की कुछ खास परम्पराओं हैं, आज हम अपने खास खबर डॉट कॉम के पाठकों को उन्हीं परम्पराओं के बारे में बताने जा रहे हैं— ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
व्रत और उपवास
माघ मास में आने वाली चतुर्थियां, एकादशियां, अमावस्या, पूर्णिमा जैसी तिथियों पर व्रत-उपवास करने की परंपरा है। इस महीने की मौनी अमावस्या पर भक्त मौन रहकर उपवास करते हैं। इन दिनों में भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा करनी चाहिए।
तिल-गुड़ का दान व सेवन
माघ मास में दान करने का विशेष महत्व है। इस महीने अनाज, कपड़े, कंबल, तिल-गुड़, घी और धन का दान करने की परंपरा है। तिल का दान माघ मास में खासतौर पर किया जाता है।
माघ मास में तिल का महत्व काफी अधिक है। तिल के दान के साथ ही तिल का सेवन भी करना चाहिए। इस महीने में तिल का उबटन लगाने और पानी में तिल मिलाकर स्नान करने की भी परंपरा है। तिल-गुड़ से बने लड्डू, तिल-गुड़ की मिठाई और तिल के तेल का इस्तेमाल खासतौर पर किया जाता है।
पंचदेव की पूजा
माघ मास में भगवान विष्णु, शिव, सूर्य, गणेश, और देवी दुर्गा की पूजा रोज करनी चाहिए। इन पांचों को पंचदेव कहा जाता है। किसी भी शुभ काम की शुरुआत में इन पांचों की पूजा की जाती है। सूर्य को अर्घ्य देकर दिन की शुरुआत करनी चाहिए।
नदियों में स्नान
माघ मास में गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, प्रयागराज संगम, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। इस मास में नदी स्नान करने की परंपरा को माघ स्नान कहते हैं। जो लोग नदी स्नान नहीं कर पाते हैं, उन्हें घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
भगवान शिव का करें अभिषेक
माघ मास में शिवलिंग पर रोज जल चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं, बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। जिन लोगों ने घर में बाल गोपाल स्थापित कर रखे हैं, उन्हें बाल गोपाल का रोज अभिषेक करना चाहिए और भगवान का विशेष श्रृंगार करना चाहिए। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें।
प्रयागराज में कल्पवास
अभी प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है। महाकुंभ और माघ मास के योग में श्रद्धालु संगम तट पर कल्पवास करते हैं। कल्पवास एक तरह से आध्यात्मिक व्रत है, इस व्रत में भक्त पूरे माघ मास में प्रयागराज में रहता है और भक्ति करता है। कल्पवास करने वाले भक्त सात्विक भोजन करते हैं। मंत्र जप करते हैं, भगवान की कथाएं पढ़ते-सुनते हैं।
सूर्य को चढ़ाएं जल
माघ मास में सूर्य की पूजा रोज करनी चाहिए। रोज सुबह सूर्योदय से पहले जागना चाहिए और सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य चढ़ाना चाहिए। ऐसी प्राचीन परंपरा है।
नोट—यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खास खबर डॉट कॉम एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।
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