इसके पीछे दूसरी मान्यता यह है कि
प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है। परमात्मा प्रकाश और ज्ञान रूप सब जगह व्याप्त
है। ज्ञान प्राप्त करने से अज्ञानरूपी मनोविकार दूर होते हैं और सांसारिक
शूल मिटते हैं। इस कारण प्रकाश की पूजा को ही परमात्मा की पूजा माना जाता
है। मंदिर में आरती करते समय दीपक जलाने के पीछे यही उद्देश्य बताया गया है
कि प्रभू हमारे मन के अज्ञानरूपी अंधकार को दूर करके ज्ञानरूपी प्रकाश
फैलाएं। ये भी पढ़ें - इस दिशा में हो मंदिर, तो घर में होती है कलह
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