शास्त्रों के अनुसार पैर के अंगूठे के द्वारा भी शक्ति का संचार होता
है। मनुष्य के पांव के अंगूठे में विद्युत संप्रेक्षणीय शक्ति होती है। यही
कारण है कि अपने वृद्धजनों के नम्रतापूर्वक चरणस्पर्श करने से जो आशीर्वाद
मिलता है, उससे व्यक्ति की उन्नति के रास्ते खुलते जाते हैं।
चरण स्पर्श और चरण वंदना भारतीय संस्कृति में सभ्यता और सदाचार का प्रतीक
माना जाता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आत्मसमर्पण का यह भाव व्यक्ति आस्था और श्रद्धा
से प्रकट करता है। यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो चरण स्पर्श की
यह क्रिया व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से पुष्ट करती है। यही कारण है
कि गुरुओं, (अपने से वरिष्ठ) ब्राह्मणों और संत पुरुषों के अंगूठे की पूजन
परिपाटी प्राचीनकाल से चली आ रही है। इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए
परवर्ती मंदिर मार्गी जैन धर्मावलंबियों में मूर्ति पूजा का यह विधान प्रथम
दक्षिण पैर के अंगूठे से पूजा आरंभ करते हैं और वहां से चंदन लगाते हुए
देव प्रतिमा के मस्तक तक पहुंचते हैं।
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