ज्योतिषिय दृष्टिकोण से विजय को लाभ और आत्मा की उन्नति से जोड़कर देखा
जाता है। कुंडली का छठा भाव शत्रुओं का और बारहवां भाव हानि का बताया गया
है। किसी कार्य में विजय के लिए हमारे भीतर की ताकत पर्याप्त होनी चाहिए,
यह लग्न से देखी जाएगी। हमारे भीतर का साहस तीसरे भाव से देखा जाएगा और
हमारी प्राप्त करने की इच्छाशक्ति ग्यारहवें भाव से देखी जाएगी। इसके साथ
ही कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होनी चाहिए।
कार्य को संपादित करने के दौरान हमारे समक्ष कई बार समस्याएं भी आती हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इन
समस्याओं को कुंडली के छठे भाव से देखा जाता है। कुंडली के छठे घर के
बलवान होने से तथा किसी विशेष शुभ ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक
अपने जीवन में अधिकतर समय अपने शत्रुओं तथा प्रतिद्वंदियों पर आसानी से
विजय प्राप्त कर लेता है। उसके शत्रु अथवा प्रतिद्वंदी उसे कोई विशेष
नुकसान पहुंचाने में आम तौर पर सक्षम नहीं होते।
कुंडली के
छठे घर के बलहीन होने से अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली
धारक अपने जीवन में बार-बार शत्रुओं तथा प्रतिद्वंदियों के द्वारा नुकसान
उठाता है तथा ऐसे व्यक्ति के शत्रु आम तौर पर बहुत ताकतवर होते हैं।
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