सप्तमेश की महादशा-अंतर्दशा या शुक्र-गुरु की
महादशा-अंतर्दशा में विवाह का प्रबल योग बनता है। सप्तम भाव में स्थित ग्रह
या सप्तमेश के साथ बैठे ग्रह की महादशा-अंतर्दशा में विवाह संभव है।
शुक्र अगर लग्न स्थान में स्थित है और चन्द्र कुण्डली में शुक्र पंचम भाव
में स्थित है तब भी प्रेम विवाह संभव होता है। नवमांश कुण्डली जन्म कुण्डली
का शरीर माना जाता है अगर कुण्डली में प्रेम विवाह योग नहीं है और नवमांश
कुण्डली में सप्तमेश और नवमेश की युति होती है तो प्रेम विवाह की संभावना
100 प्रतिशत बनती है। ये भी पढ़ें - कैसे पाएं भरपूर धन! आजमाएं ये 9 तरीके
शुक्र ग्रह लग्न में मौजूद हो और साथ
में लग्नेश हो तो प्रेम विवाह निश्चित समझना चाहिए । शनि और केतु पाप ग्रह
कहे जाते हैं लेकिन सप्तम भाव में इनकी युति प्रेमियों के लिए शुभ संकेत
होता है।
राहु अगर लग्न में स्थित है तो नवमांश कुण्डली या जन्म कुण्डली में से किसी
में भी सप्तमेश तथा पंचमेश का किसी प्रकार दृष्टि या युति सम्बन्ध होने पर
प्रेम विवाह होता है। लग्न भाव में लग्नेश हो साथ में चन्द्रमा की युति हो
अथवा सप्तम भाव में सप्तमेश के साथ चन्द्रमा की युति हो तब भी प्रेम विवाह
का योग बनता है।
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