ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रेम विवाह से संबंधित तीन ग्रह
होते हैं। यह तीन ग्रह सूर्य, बुध और शुक्र हैं। इन तीनों ग्रहों के कारण
व्यक्ति को प्रेम होता है। अगर यह तीनों ग्रह एक साथ एक ही भाव में स्थित
हो तो वह व्यक्ति प्रेम विवाह निश्चित करता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यदि शुक्र, सूर्य और बुध तीनों ग्रह एक ही क्रम में अलग-अलग भावों में हो तो प्रेम होता है परंतु इनका विवाह नहीं हो पाता।
सूर्य, बुध और सूर्य इन ग्रहों में से कोई दो युति करते हो और एक अन्य ग्रह भाव में स्थित हो जाए तो बहुत मुश्किल से प्रेम विवाह होता है।
सूर्य, बुध सप्तम स्थान में हो तो अपने से बड़ी उम्र का प्रेमी मिलता है।
शुक्र बलवान होने पर कई साथी मिलते हैं परतुं अन्य दो ग्रह सूर्य-बुध के कमजोर होने पर व्यक्ति को अपना प्रेम नहीं मिलता।
प्रेम विवाह
करने वाले लडके व लडकियों को एक-दुसरे को समझने के अधिक अवसर प्राप्त होते
है। इसके फलस्वरुप दोनों एक-दूसरे की रुचि, स्वभाव व पसन्द-नापसन्द को
अधिक कुशलता से समझ पाते हैं। प्रेम विवाह करने वाले वर-वधू भावनाओ व स्नेह
की प्रगाढ डोर से बंधे होते है. ऎसे में जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी
दोनों का साथ बना रहता है, पर कभी-कभी प्रेम विवाह करने वाले वर-वधू के
विवाह के बाद की स्थिति इसके विपरीत होती है। इस स्थिति में दोनों का प्रेम
विवाह करने का निर्णय शीघ्रता व बिना सोचे समझे हुए प्रतीत होता है। जिस
वर्ष शनि और गुरु दोनों सप्तम भाव या लग्न को देखते हों, तब विवाह के योग
बनते हैं।
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