खगोल विज्ञान में चंद्रमा को भले ही पृथ्वी का उपग्रह माना
गया है परंतु ज्योतिष शास्त्र में पृथ्वी के निकट होने के कारण इसे
नवग्रहों में शामिल किया गया है क्योंकि अन्य ग्रहों के सामान ही इसका
प्रभाव मनुष्य पर पड़ता है। शास्रों में उल्लेख है कि यदि ग्रहों में चंद्र
ग्रह प्रसन्न हैं तो किसी भी बात की कोई कमी नहीं रहती- ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
चंद्र
देव की अपनी राशि कर्क है तथा वृष राशि में उच्च के जबकि वृश्चिक राशि में
नीच के प्रभाव रखते हैं। चंद्र देव की मित्रता एवं परस्पर आकर्षण लगभग सभी
ग्रहों से है। इनका कोई भी शत्रु नहीं है। कुंडली के छटे, आठवें और
बारहवें भाव में चंद्र देव की उपस्थिति जातक के लिए कष्टकारी होती है। वहीं
मेष, वृश्चिक और कुम्भ राशियों में चंद्र देव जीवन में नकारात्मक प्रभाव
देने वाले होते हैं। विवाह मिलान में चंद्र देव की प्रधानता रहती है।
कुंडली
का लग्न भाव शरीर है तो चंद्रमा उसका मन है। जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि
में बैठा होता है वही उसका चंद्र लग्न कहलाता है। सूर्य देव के समान चंद्र
देव को भी राजा की पदवी प्राप्त है। पलाश इनका वृक्ष है।
ऐसे बीतेगा 12 राशि के जातकों के लिए शुक्रवार 29 मार्च का दिन
होली भाई दूज आज, जानिये शुभ मुहूर्त का समय
आज का राशिफल: ऐसे बीतेगा फाल्गुन माह के शुल्क पक्ष की प्रतिपदा व द्वितीया का दिन
Daily Horoscope