शनिकृत कुछ विशेष उदर रोग योग- ये भी पढ़ें - रूठी किस्मत को मनाने के लिए करें ये तांत्रिक उपाय
कर्क, वृश्चिक, कुंभ नवांश में शनिचंद्र से योग करें तो यकृत विकार के कारण पेट में गुल्म रोग होता है।
द्वितीय भाव
में शनि होने पर संग्रहणी रोग होता हैं। इस रोग में उदरस्थ वायु के
अनियंत्रित होने से भोजन बिना पचे ही शरीर से बाहर मल के रुप में निकल जाता
हैं।
सप्तम में शनि मंगल से युति करे एवं लग्रस्थ राहू बुध पर दृष्टि करे तब अतिसार रोग होता है।
मीन या मेष लग्र में शनि तृतीय स्थान में उदर में दर्द होता है।
सिंह
राशि में शनि चंद्र की यूति या षष्ठ या द्वादश स्थान में शनि मंगल से युति
करे या अष्टम में शनि व लग्र में चंद्र हो या मकर या कुंभ लग्रस्थ शनि पर
पापग्रहों की दृष्टि उदर रोग कारक है।
कुंभ लग्र में शनि चंद्र के साथ युति करे या षष्ठेश एवं चंद्र
लग्रेश पर शनि का प्रभाव या पंचम स्थान में शनि की चंद्र से युति प्लीहा
रोग कारक है।
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