दुनिया भर में कई मंदिर हैं जिनके पीछे कहानियां बहुत ही अनोखी और दिलचस्प है। भगवान शिव (God Shiva) के दुनिया भर में कई सारे मंदिर हैं और उन मंदिरों में बहुत श्रद्धा से अराधना की जाती है। लेकिन भारत में एक ऐसा भी शिव जी का मंदिर (Bateshwar Dham) है जहां मूर्तियां पूरी दुनिया में इकलौती हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बटेश्वर नाथ मंदिर (Bateshwar Dham) बहुत प्राचीन मंदिर (Magnificent Temples In India) है। बटेश्वर यमुना नदी के तट पर आगरा
(उत्तर प्रदेश) से 70 किमी की दूरी पर स्थित है। बटेश्वर एक समृद्ध इतिहास
के साथ सबसे पुराने गांवों में से एक है। यहां मंदिर में शिव को डरावनी
आंखों और मूंछों में दिखाया गया है, जबकि उनके और पार्वती के बैठने का
अंदाज सेठ-सेठानी जैसा है। यह मूर्तियां पूरी दुनिया में इकलौती हैं।
यह
भारत में महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र में से एक है।
बटेश्वर स्थल यमुना और शौरीपुर के तट पर स्थित 101 शिव मंदिरों के लिए जाना
जाता है। हिंदुओं के भगवान शिव के सम्मान में यमुना नदी तट पर स्थित
बटेश्वर धाम की तीर्थयात्रा करते हैं। कुछ मंदिरों की दीवारों और छत में आज
भी सुन्दर आकृतियां बनी हुई है। 22वें तीर्थंकर प्रभु नेमिनाथ शौरीपुर में
पैदा हुआ थे। इस क्षेत्र के रूप में अच्छी तरह से जैन पर्यटकों को आकर्षित
करती है।
यमुना के तट पर एक पंक्ति में 101 मंदिर स्थित हैं जिनको
राजा बदन सिंह भदौरिया द्वारा बनाया गया था। राजा बदन सिंह ने यमुना नदी के
प्रवाह को जो कभी पश्चिम से पूर्व कि ओर था उसको बदल कर पूर्व से पश्चिम
की ओर अर्थात् बटेश्वर की तरफ कर दिया गया था। इन मंदिरों को यमुना नदी के
प्रवाह से बचाने के लिए एक बांध का निर्माण भी राजा बदन सिंह भदौरिया
द्वारा किया गया था। बटेश्वर नाथ मंदिर का रामायण, महाभारत, और मत्स्य
पुराण के पवित्र ग्रंथों में इसके उल्लेख मिलता है।
इन मंदिरों में कामना पूरी होने के बाद घंटे चढ़ाए जाते हैं। यहां आज दो
किलो से लेकर 80 किलो तक के पीतल के घंटे जंजीरों से लटके हैं। गौरीशंकर
मंदिर में भगवान शिव, पार्वती और गणेश की एक दुर्लभ मूर्ति (फोटो में) है।
साथ ही नंदी भी है, सामने दीवार पर मोर पर बैठे कार्तिकेय और सात घोड़ों पर
सवार सूर्य की प्रतिमाएं है।
शिव को समर्पित इस विशाल मंदिर की दीवारों पर
ऊंची गुंबददार छत है तथा इसका गर्भगृह रंगीन चित्रों से सुसज्जित है।
गर्भगृह के सामने एक कलात्मक मंडप है। इस मंदिर में एक हजार मिट्टी के
दीपकों का स्तंभ है जिसे सहस्र दीपक स्तंभ कहा जाता है।
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