पूजनीय हैं गुरु पूर्णिमा ये भी पढ़ें - हिंदू महिलाओं को नारियल फोड़ने का अधिकार क्यो नहीं
उपनिषद,
पुराण, शिव सूत्र, आर्ष ग्रंथ, गोरखवाणी, अष्टावक्र, गीता, भजगोविंद,
तंत्रराज, बाइबिल, गुरुग्रंथ साहब, राधस्वामी मत दर्शन आदि में गुरु को परम
पूजनीय मानते हुए कहा गया है कि गुरु अपनी वाणी तथा सदाचरण से शिष्यों के
इहलोक एवं परलोक को सुधारकर सुखी और आनंदमय जीवन जीने की सर्वोत्तम कला
सिखाते हैं। यद्यपि गुरु पूर्णिमा का संबंध किसी गुरु विशेष से नहीं है
फिर भी यह पर्व एक आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में गुरु के प्रति निष्ठाभाव
को व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।
गुरु के प्रति अपमान, अनादर, अभद्रता, मिथ्या भाषण, छल, कपट जैसा आचरण करना
गोवध तथा ब्रह्महत्या के समान पाप माना गया है।
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