नई दिल्ली।
सिखों के पहले गुरु नानकदेवजी की जयंती देशभर में प्रकाश पर्व के रूप में
मनाई जाती है। प्रकाश पर्व यानी मन की बुराइयों को दूर कर उसे सत्य,
ईमानदारी और सेवाभाव से प्रकाशित करना। इस बार गुरु नानक देव की जयंती 23
नवंबर को हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्री गुरु नानक जी का जन्मदिन भी
मनाया जाता है। गुरू नानक जी की जयंती या गुरुपूरब/गुरु पर्व सिख समुदाय
मनाया जाने वाला सबसे सम्मानित दिन है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गुरू नानक जी की जयंती, गुरु नानक
जी के जन्म को स्मरण करते हैं। इसे गुरुपूरब/गुरु पर्व के नाम से भी जाना
जाता है, जिसका अर्थ है ‘गुरुओं का उत्सव’। इसके तहत विभिन्न गुरुद्वारों
से प्रभातफेरी निकाली जाएंगी। सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानकदेवजी के
जन्मदिवस के उपलक्ष्य में विशाल नगर कीर्तन निकाला जाता है। इस दौरान पंज
(पांच) प्यारे नगर कीर्तन की अगुवाई करते हैं। श्री गुरुग्रंथ
साहिब को फूलों की पालकी से सजे वाहन पर सुशोभित करके कीर्तन विभिन्न जगहों
से होता हुआ गुरुद्वारे पहुंचता है।
प्रकाश उत्सव के उपलक्ष्य में
प्रभातफेरी निकाली जाती है जिसमें भारी संख्या में संगतें भाग लेती हैं।
प्रभातफेरी के दौरान कीर्तनी जत्थे कीर्तन कर संगत को निहाल करते हैं। इस
अवसर पर गुरुद्वारे के सेवादार संगत को गुरु नानकदेवजी के बताए रास्ते पर
चलने के लिए प्रेरित करते हैं। कहते हैं कि श्री गुरु नानकदेव महाराज महान
युगपुरुष थे। नानकदेवजी ने अपना पूरा जीवन समाज में व्याप्त बुराइयों को
दूर करने में समर्पित कर दिया। ऐसे महान युगपुरुष की आज के समय में बहुत
जरूरत है।
जानें गुरु नानक जी की ये बातें...
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