पुन: मन को इच्छापूर्वक स्थिर करना चाहिए। इसके लिए मन और जीवात्मा के
गुण-धर्म जानना आवश्यक है। सारे व्यवहारों में जो भी क्रियाएं होती हैं,
उसमें जीवात्मा की इच्छा, प्रयत्न, मन को प्रेरणा देना, मन द्वारा बुद्धि,
इन्द्रियों को प्रेरणा देना आदि जानना चाहिए। इतना जानने के पश्चात मन को
रोकने में सफलता मिलेगी। इच्छा, ज्ञान रोकने पर मन को भी रोक सकते हैं। मन
को रोकने का अभ्यास करने पर उसे जहां चाहे जिस विषय में लगा सकते हैं और
किसी वस्तु वा विषय से हटा भी सकते हैं। ये भी पढ़ें - इन मंत्रों के जाप से नौकरी खिंची चली आएगी, बनेंगे सरकारी नौकरी के योग
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