अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के साथ-साथ व्रत
रखने को भी धर्म पालन माना गया है। क्षमा, सत्य, दया, दान, संतोष, शौच,
इन्द्रिय निग्रह, देव पूजा, हवन और चोरी न करना। व्रत के दस आवश्यक नियम
माने गए हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पूर्ण विधि-विधान से व्रत रखने वालों को
चाहिए कि वे सच्चे मन, वचन और कर्म से निराहार रहकर अपने इष्ट भगवान् की
आराधना करें और अपने सम्पूर्ण शरीर के शोधन, प्रभु मिलन की आस और ईश्वर की
कृपा प्राप्त करने के लिए क्रोध, लोभ एवं मोह से अपने को सदैव दूर रखें।
व्रत का संकल्प लेने वालों को सूर्योदय से सूर्यास्त तक निराहार रहना होता है।
व्रत रखने वाले दिन पवित्र भाव से स्नान आदि से शुद्ध होने के बाद पूर्ण श्रद्धा भाव से अपने इष्ट देव की आराधना करनी चाहिए।
व्रत के
मध्य में बार-बार फल, चाय, दूध आदि के सेवन से व्रत खंडित माना जाता है,
लेकिन स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए वे बीच में एक बार चाय या फलों का
सेवन कर सकते हैं।
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