नई दिल्ली। दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस नामक त्योहार मनानाने की परंपरा
है। धनतेरस के प्रचलन का इतिहास बहुत पुराना माना जाता है। यह त्योहार
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन आरोग्य के
देवता भगवान धन्वंतरि एवं धन व समृद्धि की देवी लक्ष्मी का पूजन किया जाता
है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
धनतेरस के संबंध में प्रचलित कथा के अनुसार, कार्तिक कृष्ण
त्रयोदशी के दिन देवताओं और असुरों द्वारा मिलकर किए जा रहे समुद्र मंथन के
दौरान समुद्र से निकले नवरत्नों में से एक धन्वंतरि ऋषि भी थे, जो
जनकल्याण की भावना से अमृत कलश सहित अवतरित हुए थे। धन्वंतरि ऋषि ने समुद्र
से निकलकर देवताओं को अमृतपान कराया और उन्हें अमर कर दिया। यही वजह है कि
धन्वंतरि को ‘आरोग्य का देवता’ माना जाता है और आरोग्य तथा दीघार्यु
प्राप्त करने के लिए ही लोग इस दिन उनकी पूजा करते हैं।
इस दिन
मृत्यु के देवता यमराज के पूजन का भी विधान है और उनके लिए भी एक दीपक
जलाया जाता है, जो ‘यम दीपक’ कहलाता है। यमराज के पूजन के संबंध में एक कथा
प्रचलित है :
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