भारतीय परंपरा में प्रतिदिन सूर्य देव की पूजा और सूर्य को अघ्र्य देने का खास महत्व है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सूर्य देव हिन्दू धर्म के देवता हैं। सूर्य देव को एक प्रत्यक्ष देव माना जाता है। सूर्य देव इस जगत की आत्मा है। खास तौर पर छठ पर्व के दौरान सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्व माना गया है। छठ सूर्य की उपासना का पर्व है। बड़े पैमाने पर लोग इस पर्व को मनाते हैं। चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत कार्तिक मास के शुक्लपक्ष चतुर्थी से होती है। इस साल छठ का पर्व शुरू हो गया है। कोरोना अभी गया नहीं है अत: इस महापर्व के लिए कई कड़े नियम तय किए गए हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह व्रत बहुत ही कठिन होता है, इसके नियम भी काफी सख्त हैं। निष्ठा से और नियम से जो इस व्रत का पालन करता है, उसे छठ माता की कृपा मिलती है और उसके जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है। छठ के व्रत के साथ कई तरह की मान्यताएं भी जुड़ी हैं। जिनमें से एक है संतान प्राप्ति के लिए इस पर्व की उपयोगिता। मान्यता है कि जिन लोगों को संतान न हो रही हो उन्हें यह व्रत करने से संतान प्राप्त होती है। इसके अलावा संतानवान लोग भी अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करते हैं।
छठ सूर्य की उपासना का पर्व है, इसलिए मान्यता यह भी है कि कुंडली में सूर्य की स्थिति खराब होने पर या राज्य पक्ष से समस्या होने पर इस व्रत को रखने से लाभ होता है। छठ रखने वाले भक्तों के अनुसार कुष्ठ रोग या पाचन तंत्र की समस्या से परेशान लोगों को भी यह व्रत रखने से लाभ मिलता है। जिन लोगों को संतान पक्ष से कोई कष्ट हो तो ये व्रत उनके लिए लाभदायक होता है।
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