ग्रहों की दशा जहां जातक को सुकून देती है, वहीं अंतरदशा की
स्थिति में जातक परेशान हो जाता है। कार्य अवरुद्ध होने लगते हैं, मनचाहे
परिणाम नहीं मिलते। खराब समय में अगर धैर्य के साथ सभी ग्रहों की शांति का
रास्ता खोजा जाए और उसके लिए ज्योतिषीय उपाय किए जाएं तो परिणाम सकारात्मक आ
सकते हैं।
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जन्म से प्रत्येक मनुष्य की जन्म कुंडली में ग्रहों का खेल
शुभता-अशुभता देता है। लेकिन हर समय ग्रह शुभ फल ही दे या हर वक्त अशुभ फल
ही दे, यह संभव नहीं। जब ग्रह जन्मकुंडली में अशुभ हो या पाप ग्रहों की
दृष्टि से युक्त हों तो शास्त्रों में इनके निवारण के लिए कुछ उपाय भी बताए
गए हैं। शास्त्रों के अनुसार ग्रह संबंधित दान, व्रत, जप, हवन आदि को
उपयोग में लाकर अशुभ ग्रहों को हमारे अनुकूल कर सकते हैं।
सूर्य की महादशा
सूर्य की अतंर्दशा में मनुष्य को
बंधु-बांधवों से विवाद, बुद्धि में चंचलता, शत्रु से भय व बलहानि, शरीर में
पित्तरोग, दुर्जनों से भय व सत्ता से भय रहता है।
सूर्य को करें अनुकूल: सूर्य को अनुकूल करने के लिए गेहूं, गुड़, ताम्र,
स्वर्ण, रक्तचंदन, रक्तवस्त्र आदि दान करें। सात अनाज का मिश्रण चीटिंयों
को खिलाने से भी शुभ रहता है।
सूर्य की अनुकूलता के मंत्र: ओम घृणि: सूर्याय नम:। ओम आदित्याय नम:। ओम
सूर्याय: नम:। इनमें से किसी भी एक मंत्र का 7000 की संख्या में जप कर सकते
हैं और आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
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