ज्योतिष में “शुक्र ग्रह” को प्रेम का कारक माना गया है।
कुंडली में लग्न, पंचम, सप्तम तथा एकादश भावों से शुक्र का सम्बन्ध होने पर
व्यक्ति में प्रेमी स्वभाव का होता है। ज्योतिष के अनुसार पंचम भाव प्रेम
का भाव होता है और सप्तम भाव विवाह का। पंचम भाव का सम्बन्ध जब सप्तम भाव
से होता है तब दो प्रेमी वैवाहिक सूत्र में बंधते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नवम भाव से पंचम
का शुभ सम्बन्ध होने पर भी दो प्रेमी पति पत्नी बनकर दाम्पत्य जीवन का सुख
प्राप्त करते हैं। पंचम भाव का स्वामी पंचमेश शुक्र अगर सप्तम भाव में
स्थित है तब भी प्रेम विवाह की प्रबल संभावना बनती है। शुक्र अगर अपने घर
में मौजूद हो तब भी प्रेम विवाह का योग बनता है। इस आलेख में आज हम इन्हीं
सवालों के साथ उन उपायों पर चर्चा करेंगे, जिसके माध्यम से प्रेम को विवाह
में आसानी से तब्दील किया जा सके।
केशवी केशवाराध्या किशोरी केशवस्तुता, रूद्र रूपा रूद्र
मूर्ति: रूद्राणी रूद्र देवता। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की आराधना
करने से प्रेम-विवाह में अवश्य सफलता मिलती है। सप्ताह में शुक्रवार के दिन
राधा-कृष्ण की मूर्ति के सम्मुख उपरोक्त मंत्र का 108 बार जाप करें। 3
महीने के अन्दर ही प्रेम-विवाह में आ रही सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी।
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