काले तिल, शहद और कुश को तर्पण व श्राद्धकर्म में सबसे
जरूरी हैं। माना जाता है कि तिल और कुश दोनों ही भगवान विष्णु के शरीर से
निकले हैं और पितरों को भी भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना गया है। गरुड़
पुराण के अनुसार तीनों देवता ब्रह्मा, विष्णु, महेश कुश में क्रमश: जड़,
मध्य और अग्रभाग में रहते हैं। इनका उपायोग कर हम पितरों को भी प्रसन्न कर
सकते हैं।
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कुश का अग्रभाभ देवताओं का, मध्य मनुष्यों का और जड़ पितरों का
माना जाता है। वहीं तिल पितरों को प्रिय और दुष्टात्माओं को दूर भगाने वाले
माने जाते हैं। श्राद्ध एवं तर्पण क्रिया में काले तिल का बड़ा महत्व है।
कहते हैं तिल का दान कई सेर सोने के दान के बराबर है। इनके बिना पितरों को
जल भी नहीं मिलता।
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