नजर व टोटकों इत्यादि
के निवारण के लिए भी तिराहे, चौराहे, सुनसान अथवा स्थान विशेष पर दीपक
प्रज्ज्वलित किए जाते हैं।
पूर्व और पश्चिम मुखी भवनों में मुख्य द्वार पर संध्या के समय सरसों तेल के
दीपक प्रज्ज्वलित किए जाने का विधान अत्यंत प्राचीन है। इसके पीछे मान्यता
यह है कि किसी भी प्रकार की दुरात्मा अथवा बुरी शक्तियां घर में प्रवेश
नहीं कर सकतीं। ये भी पढ़ें - घर में पैसा नहीं टिकता तो आजमाएं ये वास्तु टिप्स
एक मान्यता यह भी है कि सरसों तेल का दीपक
प्रज्ज्वलित कर उसकी कालिमा को किसी पात्र में इकट्ठा कर लिया जाता है और
उसे बच्चे की आंखों में काजल के रूप में प्रयोग किया जाता है साथ ही यह भी
माना जाता है कि इसका टीका बच्चे को लगाने से उसे नजर नहीं लगती। गांव
देहात में इसका काफी प्रचलन है।
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