हमारे ग्रंथ पुराणों आदि में वास्तु एवं ज्योतिष से संबंधित
रहस्यों तथा उसके सदुपयोग सम्बंधी ज्ञान का अथाह समुद्र व्याप्त है। जिसके
सिद्धान्तों पर चलकर मनुष्य अपने जीवन को सुखी, समृद्ध, शक्तिशाली और
निरोगी बना सकता है। प्रभु की भक्ति में लीन रहते हुए उसके बताये मार्ग पर
चलकर वास्तुसम्मत निर्माण में रहकर और वास्तुविषयक जरूरी बातों को जीवन
में अपनाकर मनुष्य अपने जीवन को सुखी व सम्पन्न बना सकता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सभी वस्तुओं पर किसी न किसी ग्रह का अधिपत्य होता है। इसी तरह से हर दिशा,
अलग-अलग ग्रह के अधीन होती है। भारतीय वास्तुशास्त्र के वास्तु पुरूष
सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति का कार्य क्षेत्र उसका आफिस तथा वो जहां बैठकर
अपना रोजगार कमाता है दक्षिण दिशा को संबंधित करते हैं। इन स्थानों पर
मूलत: मंगल का निवास होता है। इस स्थान पर आने वाली बाधाएं व्यक्ति को
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से धन के क्षेत्र को प्रभावित करती हैं। कुछ
इस तरह की कुर्सी पर बैठकर कारोबार करने से या आफिस में बैठने से व्यक्ति
का समय खराब हो सकता है तथा चलते काम में बाधाएं आ सकती हैं। कुछ कुर्सियों
पर न बैठें अन्यथा विभिन्न तरह की समस्याओं से जूझना प़ड सकता है।
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