पूरे देश में 29 अक्टूबर को आमला नवमी मनाई जाएगी। कार्तिक
मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी या अक्षय नवमी कहते हैं। इस दिन
आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है जिससे अखंड सौभाग्य, आरोग्य, संतान और सुख
की प्राप्ति होती है। अक्षय नवमी का शास्त्रों में वही महत्व बताया गया है
जो वैशाख मास की तृतीया यानी अक्षय तृतीया का है। शास्त्रों के अनुसार
अक्षय नवमी के दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता। इस दिन जो भी शुभ
कार्य जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा की जाती है उसका पुण्य कई-कई जन्म तक
प्राप्त होता है।
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आंवला वृक्ष की पूजा और इस वृक्ष के नीचे भोजन करने की
प्रथा की शुरुआत करने वाली माता लक्ष्मी मानी जाती हैं। इस संदर्भ में कथा
है कि एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण करने आयीं। रास्ते में भगवान
विष्णु एवं शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई। लक्ष्मी मां ने विचार
किया कि एक साथ विष्णु एवं शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तभी उन्हें ख्याल
आया कि तुलसी एवं बेल का गुण एक साथ आंवले में पाया जाता है। तुलसी भगवान
विष्णु को प्रिय है और बेल शिव को।
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