संसार में पाये जाने वाले समस्त प्राणी, पेड़-पौधे , नदी, पर्वत, मृदा
आदि ग्रहों के अधीन होते हैं। कर्मों के अनुसार अच्छा-बुरा जैसा भी फल
मिलता है, उसके लिए भी ग्रह उत्तरदायी होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार
सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु नवग्रह कहलाते
हैं। इन सभी ग्रहों का अपना-अपना शुभ-अशुभ प्रभाव होता है। इसके अलावा इन
सभी ग्रहों की भाग्योदयकाल अवधि तथा विभिन्न राशियों पर भोग की अवधि भी
निश्चित होती है।
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सीधी और वक्री गति
सभी ग्रह सौर मंडल के सर्वाधिक सशक्त सूर्य के चारों ओर अपनी-अपनी
कक्षाओं में रहकर गति करते हैं। यह गति सीधी अथवा वक्री होती है। नवग्रहों
में केवल सूर्य एवं चंद्र ही ऐसे ग्रह हैं जो सदैव सीधी गति से चलते हैं।
जबकि छाया ग्रह माने जाने वाले राहु और केतु ग्रह की गति हमेशा वक्री ही
होती है। वहीं मंगल, बुध, गुरु, शुक्र तथा शनि ग्रह सीधी एवं वक्री दोनों
प्रकार की गति से चलते हैं। ग्रहों की गति सीधी है या वक्री, इसकी जानकारी
जन्म कुंडली से आसानी से मिल जाती है।
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