अपने सफर पर रोशनी डालते हुए उन्होंने कहा, ‘‘टीवी पर और कला व प्रकाशन में
कई और भारतीय चेहरों को देखकर मैं बहुत खुश हूं...1970 और 1980 के दशक में
प्रवासी होना मुश्किल भरा रहा। मैं खुशकिस्मत हूं कि मैं किसी तरह अपनी
जगह बनाने में कामयाब रही। ऐसा नहीं थी कि मैंने कोई बड़ी योजना बना रखी
थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसकी कोई गारंटी नहीं थी कि मैं सफल हो पाऊंगी।’’ ये भी पढ़ें - ‘रिहाना के कपड़ों ने फैशन की कई सीमाओं को तोड़ा’
सुपरमॉडल
ने बताया कि इस साल वह ज्यादा से ज्यादा समय बेटी कृष्णा थिया लक्ष्मी-डेल
के साथ बिताने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल किताबें
लिखने के कारण वह थोड़ी थक गईं, इस साल भी ज्यादा यात्राएं करनी पड़ीं, तो
वह इन सब चीजों को हल्के-फुल्के अंदाज से संभाल रही हैं। पद्मालक्ष्मी (47)
ने कहा कि फिर अगले साल वह सोचना शुरू करेंगी कि उन्हें किस किताब पर काम
करना है। उन्होंने कहा कि परियोजना पूरी होने तक इस बारे में वह ज्यादा बात
नहीं कर सकतीं।
--आईएएनएस
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