नई दिल्ली। फिल्म अभिनेत्री विद्या बालन को तय मानदंडों पर चलने की बजाय अपने दिल की सुनना ज्यादा पसंद है। अभिनेत्री कहती हैं कि ऐसा काम करना जो आपके लिए स्वाभाविक नहीं है, वह दर्दनाक हो सकता है और इसका एहसास उन्हें कुछ साल पहले हुआ था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
विद्या ने एक स्पष्ट साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, "मुझे लगता है कि इस बात को करीब 10 साल हो गए हैं, जब मैंने अपने अंदर की आवाज को सुनना और उसका अनुसरण करना शुरू किया। मैंने पाया कि यह आसान है।"
उनसे पूछे जाने पर कि क्या वह विद्रोही हैं? तो विद्या ने कहा, "मैं खुद को एक विद्रोही के रूप में नहीं देखती। मुझे लगता है कि जब आप लोगों की इच्छा के विपरीत काम करते हैं तो उन्हें अक्सर विद्रोही करार दिया जाता है। मैंने वही किया जो मैं करना चाहती थी।"
छोटे पर्दे पर 'हम पांच' करने के बाद विद्या ने 2005 में 'परिणीता' के साथ बॉलीवुड में प्रवेश किया था। उसके बाद उन्होंने कई फिल्में ऐसी कीं जो लीक से हटकर थीं। फिर चाहे वह 'पा' में अमिताभ बच्चन की मां का रोल हो, या 'द डर्टी पिक्चर', 'तुम्हारी सुलु' और हाल ही में आई 'शकुंतला देवी' में निभाए गए किरदार हों।
जब काम की बात आती है, तो विद्या को अपने फैसले खुद करना पसंद है और वह किसी के साथ अपने काम को लेकर चर्चा नहीं करती हैं।
वह कहती हैं, "मैं अपनी फिल्म को लेकर अपनी टीम तक से भी चर्चा नहीं करती हूं क्योंकि मुझे उस किरदार के साथ कुछ महीनों तक जीना है। यदि मैं किसी गलत कारण के चलते फिल्म करूं तो यह प्रताड़ना की तरह होगा। अतीत में मैंने ऐसा किया है, कई फिल्में लेते वक्त मैंने दिल की नहीं सुनी।"
अब अभिनेत्री अगली फिल्म 'शेरनी' को लेकर उम्मीद कर रही हैं कि यह जल्दी शुरू हो। (आईएएनएस)
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