—राजेश कुमार भगताणी
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सलमान खान की टाइगर-3
दीपावली के दिन प्रदर्शित हुई है। पहले दिन बड़ा त्योंहार था, जिसके चलते उम्मीद थी
कि कारोबार कम होगा और वही हुआ। फिल्म ने पहले दिन बॉक्स ऑफिस प 44.50 करोड़ का
कारोबार किया। वर्ष 2023 में प्रदर्शित कुछ बड़ी फिल्मों के मुकाबले यह कम रहा
लेकिन सलमान खान के करियर की सबसे बड़ी ओपनर साबित हुई टाइगर-3।
टाइगर-3 को लेकर दर्शकों
में वो जोशो-खरोश नजर नहीं आ रहा है जो इस फ्रेंचाइजी की पिछली फिल्म को लेकर था।
वर्ष 2017 में टाइगर जिंदा है को लेकर दर्शकों में जबरदस्त क्रेज था, लेकिन
टाइगर-3 को लेकर ऐसा नहीं है। फिल्म को मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है।
सिनेमाघरों से फिल्म देखकर निकले दर्शकों से बात करते हुए जब यह पूछा कि आपको
फिल्म कैसी लगी तो जवाब मिला। सोसो अर्थात् न बुरी न अच्छी। देखी जा सकती है।
देखने के लिए मजबूर हों ऐसा नहीं है। वजह पूछने पर पता चला कि फिल्म में सलमान खान
बहुत थके-थके नजर आए हैं।
उन पर जो एक्शन दृश्य फिल्माए गए हैं वो इस फ्रेंचाइजी
की पिछली दो फिल्मों के मुकाबले कमतर हैं। एक था टाइगर का शुरूआती एक्शन दृश्य
जिसमें सलमान खान लकड़ी की हाथगाड़ी के साथ सीढ़ियों पर फिसलते हैं और दुश्मनों पर
गोलियाँ दागते हैं, टाइगर-3 के उनके एंट्री एक्शन सीन से कहीं ज्यादा तारीफे काबिल
था। जबकि टाइगर-3 का उनका 10 मिनट का एंट्री एक्शन दृश्य कल्पना से परे प्रतीत
होता है। ऊँची पहाड़ी पर मोटरसाइकिल दौड़ाते सलमान पर जिस तरह से विरोधियों द्वारा
गोलियाँ दागी जाती है वह सम्भव प्रतीत नहीं होता है। अति तब हो जाती है जब सलमान
खान को मोटर साइकिल छोड़कर पहाड़ी से कूदते हुए आसानी से हैलीकॉप्टर को पकड़ते हुए
दिखाया जाता है।
यह तो एक्शन दृश्यों की एक
बानगी है, सलमान खान पर फिल्माये कुछ दूसरे एक्शन दृश्य भी दर्शकों की नजरों में
सवालिया निशान खड़े करते हैं।
उत्तेजना पैदा नहीं करता
शाहरुख खान का कैमियो
टाइगर-3 में शाहरुख खान का
पठान के रूप में एक्शन कैमियो है, जो दर्शकों को उत्तेजित नहीं करता है।
पाकिस्तानी जेल में पानी पीते हुए सलमान खान को देखकर ही दर्शक समझ जाता है कि अब
शाहरुख खान का एंट्री सीन होगा। दो सुपर एजेंटों के इस एक्शन दृश्य की कल्पना खुद
आदित्य चोपड़ा ने की है, जो कमजोर है। इतने विरोधियों के होते हुए बिना चोटिल हुए
स्वयं को बचाते हुए निकलना दर्शकों की आंखों में किरकिरी पैदा करता है।
शुरूआत में ही उठ जाता है
रहस्य से पर्दा
फिल्म की शुरूआत जोया के
बचपन से होती है जहाँ से स्पष्ट होता है कि वह क्योंकर आईएसआई एजेंट बनी है। इसके
साथ ही यह भी बता दिया जाता है कि वह रॉ को क्योंकर गुमराह कर रही है।
जल्दी खत्म किए गए किरदार
टाइगर-3 की पटकथा में जिस
तरह से किरदारों का अन्त किया गया है, वह दर्शकों को खलता है। रॉ एजेंट गोपी के
किरदार को मारने की आवश्यकता नहीं थी, उसे जिंदा दिखाया जा सकता था। इसी तरह से
करण और हसन के किरदारों को भी जीवित रखते हुए इस फिल्म के अगले भाग तक ले जाया जा
सकता था, लेकिन लेखक, निर्देशक, निर्माता ने उन्हें जल्द ही खत्म कर दिया।
खलती है गिराश कर्नाड की
कमी
रॉ प्रमुख के रूप में पिछली
दो फिल्मों में नजर आए गिरीश कर्नाड की कमी दर्शकों को बहुत खलती है। कर्नाड ने इस
किरदार को पूरी गम्भीरता के साथ परदे पर उतारा था। कर्नाड के निधन के बाद इस
भूमिका में रेवती को लाया गया है, जो पूरी तरह से अनफिट हैं। उनके चेहरे पर किरदार
के अनुरूप भाव भंगिमा का अभाव है। रेवती को जेम्स बॉन्ड की एम की तरह पेश करने का
प्रयास किया गया है, जो बेहद ही लचर कोशिश है।
पठान और जवान को नहीं छू
सकती टाइगर-3
मनीष शर्मा के निर्देशन में
बनी टाइगर-3 व्यावसायिक दृष्टि से कामयाब जरूर होगी लेकिन इसे वो कामयाबी नहीं
मिलेगी जो सिद्धार्थ आनन्द के निर्देशन में बनी पठान और एटली कुमार के निर्देशन
में बनी जवान को मिली है। इसका सबसे बड़ा कारण है फिल्म की गति। पठान और जवान की
सफलता में फिल्म की गति की बड़ी भूमिका रही, तेज गति के चलते दर्शकों को ज्यादा
सोचने का समय नहीं मिला था। जबकि टाइगर-3 की गति धीमी है। इसके अतिरिक्त फिल्म में
जो ट्विस्ट दिए गए हैं वो भी इन दो फिल्मों के मुकाबले कमजोर हैं।
सीमित होगी व्यावसायिक
सफलता
कुल मिलाकर टाइगर-3 की
व्यावसायिक सफलता को लेकर यह कहा जा सकता है कि यह भारत में 300 करोड़ से ज्यादा का
कारोबार करने में सफल हो जाएगी लेकिन 400 करोड़ या उसके आगे इसका पहुँचना मुश्किल
नजर आता है। पठान और जवान को सिनेमाघरों
में 4 सप्ताह का समय एकल प्रस्तुति के रूप में मिला था, उनके सामने कोई दूसरी बड़ी
फिल्म नहीं थी। जबकि टाइगर-3 को अपने प्रदर्शन के साथ ही हॉलीवुड फिल्म द मार्वल
से मुकाबला करना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त उसे बेहद सीमित बजट में बनाई गई विधु
विनोद चोपड़ा की 12वीं फेल से भी टक्कर मिल रही है। वहीं आगामी 1 दिसम्बर को दो और
बड़ी फिल्मों—एनिमल और सैम बहादुर—का प्रदर्शन होने जा रहा है। ऐसे में टाइगर के
पास अपने प्रदर्शन दिन 12 नवम्बर से लेकर 30 नवम्बर तक कुल 19 दिन हैं जिनमें उसे
स्वयं को बड़ी कामयाब फिल्म साबित करना है, जो बहुत मुश्किल नजर आ रहा है।
फिल्म अपने शुरूआती चार
दिनों में 200 करोड़ के आंकड़े तक पहुँचने में भी सफल नहीं हो पाई है, 15 नवम्बर से इसके
कारोबार में गिरावट आना शुरू हो गई है। शनिवार को कुछ उम्मीद है फिर कुछ उछाल आएगा, जो इतना नहीं
होगा कि इसे बड़ी कामयाबी दिलाने में मददगार हो सके।
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