मेरठ। वह, दुनिया भर में लाखों लोगों की तरह ही लता मंगेशकर का प्रशंसक हैं, लेकिन गौरव शर्मा की भक्ति अद्वितीय है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उनके पास लता मंगेशकर पर लिखी गई हर किताब है, यहां तक कि पाकिस्तानी और ऑस्ट्रेलियाई लेखकों की भी, और उनके संग्रह में उनके द्वारा गाए गए सभी गीत शामिल हैं।
उन्होंने स्कूलों में छह 'लता वाटिका' भी स्थापित की हैं, जहां उन्होंने महान गायक के सम्मान में हजारों पेड़ लगाए हैं।
39 वर्षीय शर्मा का कहना है कि उन्होंने अपना पूरा जीवन 'उनकी कला और शिल्प की पूजा' के लिए समर्पित कर दिया है, यहां तक कि शादी भी नहीं की है।
शर्मा का घर लता जी का एक 'मंदिर' है जिसे अब वह एक संग्रहालय में बदलना चाहते हैं। गायिका की एक बड़ी फ्रेम वाली फोटो ड्राइंग रूम की दीवार पर टंगी है, जबकि उनकी कई और तस्वीरें पूरे कमरे में लगाई गई हैं।
शर्मा की अलमारी लता मंगेशकर को लेकर खबरों की कतरनों से भरी पड़ी है।
वर्षों से, शर्मा के पड़ोसी लता मंगेशकर द्वारा गाए गए भजनों को सुनकर जाग रहे हैं।
शर्मा ने संवाददाताओं से कहा कि मैं प्रधानमंत्री से अपील करता हूं, मेरे सभी संग्रह उनके सम्मान में एक संग्रहालय के लिए ले लें।
उन्होंने आगे कहा कि मेरे लिए, वह अमर है। वह एक सितारा है और हमेशा रात के आसमान में टिमटिमाती रहेगी। मैं न तो दुखी हूं और न ही खुश। उनका जीवन संघर्षों से भरा था।
शर्मा ने कहा कि वह 1988 में सिर्फ छह साल के थे, जब उन्होंने पहली बार गायिक द्वारा गाया गया एक गाना सुना था।
1955 में आई फिल्म 'आजाद' का गाना 'राधा ना बोले' था।
शर्मा ने कहा कि मेरी दादी अक्सर उस धुन को गुनगुनाती थीं। उन्होंने मुझे लताजी के संघर्षों के बारे में बताया था, और मुझे उनकी एक तस्वीर दी थी। उन्होंने कहा था कि खोज करनी है तो इनकी खोज करो।
(आईएएनएस)
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