महान कवि और लेखक
जावेद अख्तर का कहना है
कि अब पहले की
तरह काम नहीं होता।
उन्होंने कहा कि पहले
के गानों के लिरिक्स फिल्म
की कहानी से मेल खाते
थे लेकिन आज के लिरिक्स
पहले की तरह काम
नहीं करते क्योंकि वे
फिल्म की कहानी और
उसकी भावनाओं पर आधारित ही
नहीं होते।
पीटीआई को दिए इंटरव्यू
में जावेद अख्तर ने कहा, “ऐसा
नहीं है कि लेखक
अच्छे गाने नहीं लिख
सकते, बल्कि उन्हें अच्छे गाने लिखने का
मौका ही नहीं मिल
रहा है। ऐसे कई
कारण हैं जिनकी वजह
से गाने भूलने लायक
हो गए हैं। एक
तो टेम्पो और बीट बहुत
हाई हो गयी है।
बैकग्राउंड में दो अलग
गाने चल रहे हैं,
अब कोई लिप-सिंक
भी नहीं है।” अख्तर
का कहना है कि
अब गानों का फिल्मों की
कहानी से कोई लेना-देना नहीं होता।
गानों में से इमोशन,
गम, खुशी और दिल
टूटने का दर्द खत्म
हो चुका है।
आजकल गाने कभी भी
बजा दिए जाते हैं।
बैकग्राउंड में गाने चल
रहे हैं। पहले गाने
इंसान को इमोशनली जोड़ने
के लिए होते थे
और कहानी का हिस्सा होते
थे। एक गाना सीन
की तरह होता था,
एक्टर लिप सिंक करता
था।
जावेद अख्तर हाल ही में
रियल एस्टेट डेवलपर द अनंत राज
कॉरपोरेशन (टीएआरसी) द्वारा आयोजित एक सेशन और
बुक साइनिंगर इवेंट में भाग लेने
के लिए शहर में
थे। उन्होंने नसरीन मुन्नी कबीर द्वारा लिखित
अपनी संवादात्मक जीवनी टॉकिंग लाइफ के बारे
में भी बात की।
गौरतलब है कि जावेद अख्तर ने कई सदाबहार
गानों के बोल लिखे
हैं। जिनमें से साल 1981 में
आई ‘सिलसिला’ का गाना ‘ये
कहां आ गए हम’,
1994 में आई 1942 लव स्टोरी का
‘एक लड़की को देखा तो’
और 2008 की फिल्म ‘जोधा
अकबर’ का ‘जश्न-ए-बाहारा’ गानों समेत कई बेहतरीन
गाने लिखे हैं।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दिशा परमार ने बेटी नव्या की झलक की साझा, पसंदीदा गेम का किया खुलासा
कोरियोग्राफर मुदस्सर खान की शादी में शामिल हुए सलमान खान, सादगी ने खींचा लोगों का ध्यान
इंदिरा कृष्णन ने एनिमल के लिए रश्मिका, रणबीर के साथ लिया शूटिंग का आनंद
Daily Horoscope