मुंबई। अभिनेता-फिल्मकार संजय खान अपनी दूसरी किताब 'अस्सलामुलअलैकुम वतन' का अनावरण करने के लिए बिल्कुल तैयार हैं। इसमें भारत की विरासत को आकार देने में मुसलमानों की भूमिका का वर्णन किया गया है। खान ने अपनी इस किताब की हर एक पृष्ठ (जिसमें 10 अध्याय हैं) में बड़ी ही दृढ़ता के साथ इस बात का ऐलान किया है कि पहले वह खुद को एक भारतीय मानते हैं और इसके बाद वह किसी धर्म से जोड़कर देखते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अपनी इस किताब के बारे में उन्होंने कहा, "इस किताब का उद्देश्य न केवल भारतीय मुसलमानों को यह समझाना है कि वे अप्रवासी मानसिकता को खत्म करें, बल्कि भारतीय मुसलमानों को एक ठोस, स्पष्ट और तार्किक समाधान भी प्रदान करना है, ताकि वे फिर से एक बार योगदान व प्रभाव के शिखर तक पहुंच सकें।"
उन्होंने आगे कहा, "यह एक प्रभाव है कि इस बेहतरीन देश के समृद्ध इतिहास के निर्माण में भारतीय मुसलमानों ने निरंतर अपना योगदान दिया है। 'अस्सलामुलअलैकुम वतन' भारतीय मुसलमानों में फिर से उसी भावना का आह्वान करने का एक विनम्र प्रयास है।" (आईएएनएस)
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