नई दिल्ली। हॉलीवुड अभिनेत्रियों की तरह बॉलीवुड की अभिनेत्रियां अपना शोषण करने वालों का नाम खुलकर क्यों नहीं लेतीं और उन्हें शर्म क्यों नहीं महसूस करातीं? अभिनेत्री निमरत कौर का कहना है कि इससे पहले कि इस बारे में महिलाओं पर सवाल खड़े करने से पहले कानून व्यवस्था को निर्विवाद रूप से काम करना चाहिए और पीडि़तों को समर्थन देकर उनमें निडर बनने का आत्मविश्वास जगाना चाहिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हॉलीवुड निर्माता हार्वे वींस्टीन पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगने के बाद कई हॉलीवुड अभिनेत्रियों ने अपने साथ हुए यौन दुव्र्यवहार के बारे में खुलकर बात की, लेकिन बॉलीवुड में स्थिति इसके उलट रही। यह पूछे जाने पर कि बॉलीवुड में किसी यौन उत्पीडऩ करने वाले का नाम क्यों नहीं लिया गया तो निमरत ने मुंबई से रिकॉर्डेड बातचीत में आईएएनएस को बताया, भारत में कामकाजी माहौल में महिलाओं के सामने आकर बोलने के लिए कानून प्रणाली निर्विवाद होनी चाहिए और इसे कहीं भी किसी भी पीडि़त, जो किसी भी प्रकार के उत्पीडऩ से गुजरी हो, उसको सहयोग देने और उसके अंदर निडरता की भावना कायम करने में सक्षम होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यौन उत्पीडऩ के मामले को किसी महिला से पूछताछ से पहले गहराई से देखा जाना चाहिए कि आखिर महिलाएं क्यों अपने प्रति किए गए अपराधों के बारे में बताने के लिए सामने नहीं आती हैं? निमरत ने कहा, एक समाज के रूप में हमें मजबूत और अधिक दृढ़ बनने और महिलाओं में निर्भयता की भावना जगाने की जरूरत है। अभिनेत्री ने कहा कि शर्मिंदगी के चलते महिलाएं इसके खिलाफ नहीं बोलती हैं। ऐसी कई धारणाएं जैसे परिवार को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है और बदनामी के चलते पीडि़ताएं अपनी बात नहीं कह पाती हैं।
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