फिल्मकार पहलाज निहलानी शुक्रवार को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के पद से बर्खास्त कर दिए गए। उनका कहना है कि उन्हें इस बात का कोई खेद नहीं है कि पद छोड़ने के लिए कहा गया और साथ ही उन्हें ‘संस्कारी’ सेंसर प्रमुख का तमगा मिलने पर गर्व है। वास्तव में वह कुछ महीनों से इस पद से हटने की तैयारी कर रहे थे। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक साल बाद 2015 में निहलानी सीबीएफसी के अध्यक्ष बने थे। उनकी जगह अब लेखक-गीतकार और विज्ञापन गुरु प्रसून जोशी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। फिल्मों में कट लगाने, डिस्क्लैमर करने या बीप लगाने का सुझाव व निर्देश देकर विवादों में बने रहने वाले निहलानी ने अपनी बर्खास्तगी की खबर वायरल होने के कुछ घंटे बाद ही बहुत सहजता से बात की। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
निहलानी ने कहा, ‘मैं कई महीनों से निकलने की तैयारी कर रहा था। वास्तव में मैं जब से आया था, तब से कुछ लोग मेरे खिलाफ काम कर रहे थे, उनमें से कुछ सीबीएफसी के अंदर के ही हैं। मैं इन लोगों के नाम ‘ऑन रिकॉर्ड’ नहीं लेना चाहता, ये फिलहाल समय से पहले दिवाली मना रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘उनका तो त्योहार मेरे जाने से हो गया।’
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें उनके पद से हटाए जाने पर कोई अफसोस है? उन्होंने कहा, ‘बिल्कुल नहीं। विश्वास कीजिए, मैं अचानक से सीबीएफसी के अध्यक्ष के रूप में लाया गया। मैंने खुशी के साथ उस काम को स्वीकार किया, जिसके लिए सरकार ने मुझे उपयुक्त समझा। अब जब सरकार ने मुझे हटने के लिए कहा है, तो मैं बिना किसी अफसोस के ऐसा कर रहा हूं।’
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