अगर विषय अच्छा है, उसका प्रस्तुतीकरण अच्छा है तो निश्चित तौर पर फिल्म
दर्शकों को पसन्द आएगी और वह चलेगी। हॉफ गर्लफ्रेंड और हिन्दी मीडियम के
साथ यही हुआ है। दोनों फिल्मों का विषय अलग है हॉफ गर्लफ्रेंड एक विफल
प्रेम कहानी है, वहीं हिन्दी मीडियम ज्वलंत समस्या पर है। युवाओं को जहां
हॉफ गर्लफ्रेंड पसन्द आई है, वहीं हिन्दी मीडियम उन दर्शकों के दिलों दिमाग
पर छा गई है जो अपने बच्चों के स्कूल प्रवेश को लेकर खासे परेशान हैं। यह
उन युवा माता-पिता की कहानी है जो अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहता
है लेकिन उसके पास उन नामी गिरामी स्कूलों की मांग पूरी करने की क्षमता
नहीं है। ये भी पढ़ें - 5 ऐसे गीत, जिन्हें बार-बार सुनना चाहेंगे और गुनगुनायेंगे
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