कैसी बनी बालिका वधू
एक दिन मौसमी अपनी स्कूल से घर जा रही थी। उस वक्त
मौसमी के दोनों कंधों पर स्कूल बैग, दो लंंबी चोटी, अपनी सहेलियों के साथ
खिलखिलात मौसमी की मासूमियत भरी मुस्कान और हंसने पर बढ़ा हुआ दांत उन्हें
और मासूम बना रहा था। मशहूर बंगाली फिल्म निर्देशक तरुण मजूमदार रोज मौसमी
को देखते। उनकी निगाह में मौसमी की मासूमियत इस कदर बस गई कि, उन्होंने
सोच लिया कि मौसमी ही उनकी फिल्म में बालिका वधू बनेंगी। उस वक्त वो अपनी
फिल्म बालिका वधू बनाने की तैयारी में थे। बस वो एक स्कूली लड़की की तलाश
में थी जो उनकी फिल्म में बालिका वधू बने।
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