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यह कहानी भोपाल में एक ही मोहल्ले में रहने वाली चार महिलाओं ऊषा (रत्ना पाठक शाह), शिरीन (कोंकणा सेन), लीला (अहाना कुमरा) और रिहाना (प्लाबिता बोरठाकुर) की है, जो अलग-अलग तरह से अपनी जिंदगी गुजर बसर करती हैं। ऊषा को लोग बुआ जी के नाम से बुलाते हैं जिनका रुझान रोमांटिक उपन्यासों की तरफ ज्यादा है, वहीं शिरीन एक डोर टू डोर सेल्स वुमन का काम करती है लेकिन अपने पति (सुशांत सिंह) को नहीं बताती है, क्योंकि उसे डर है कि कहीं वो ये जानकार नाराज ना हो जाए, लीला को फोटोग्राफर अरशद (विक्रांत मास्सी) से प्रेम है लेकिन अरशद उसको कम भाव देता है साथ ही लीला की शादी किसी और के साथ फिक्स हो जाती है। रिहाना एक कॉलेज में पढ़ने वाली लड़की है। घर में बंदिशों के चलते वो पिता के साथ सिलाई में हाथ बंटाती है लेकिन जब भी वह घर से बाहर जाती है तो अपनी ही धुन में वेस्टर्न स्टाइल में जीने की कोशिश करती है। कहानी का सार ये है कि ये चारो महिलाएं जो असल जिंदगी में करना चाहती हैं, वो उन्हें चोरी छिपे करना पड़ता है और कहानी का अंत ऐसे मकाम पर होता है जो आपको सोचने पर विवश कर देता है।
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