नई दिल्ली। एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी ने कहा है कि 90 के दशक में फिल्मों को वास्तविकता से दूर माना जाता था। उस समय एक्ट्रेसेस का ग्लैमरस दिखना जरूरी था, क्योंकि कोई भी नीरस चीजें नहीं देखना चाहता था।
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शिल्पा ने 1993 में रिलीज हुई 'बाजीगर' से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने 90 और 2000 के दशक की कई फिल्मों में काम किया। हाल ही में उन्होंने रोहित शेट्टी की 'इंडियन पुलिस फोर्स' के जरिए स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर शुरुआत की।
90 के दशक की तुलना में अब फिल्म निर्माताओं द्वारा महिलाओं को गंभीरता से लेने के बारे में बात करते हुए शिल्पा ने आईएएनएस से कहा, ''समय बदल गया है और समय के साथ कंटेंट भी बदल गया है। फिल्में और कुछ नहीं बल्कि हमारे समाज के ताने-बाने का प्रतिबिंब हैं।
मुझे लगता है कि पुराने जमाने में फिल्मों को वास्तविकता से भागने के एक माध्यम के रूप में देखा जाता था।"
उन्होंने कहा, "उस समय यह सब चीजें दूर-दूर तक नहीं सोची जाती थीं, एक्ट्रेसेस ग्लैमरस थीं क्योंकि कोई भी नीरस चीजें नहीं देखना चाहते थे।"
अभिनेत्री ने कहा कि उस समय आर्ट और कमर्शियल सिनेमा के बीच अंतर था।
उन्होंने कहा, ''आर्ट फिल्मों और कमर्शियल सिनेमा के बीच स्पष्ट अंतर था। आज... मुझे लगता है कि सब ब्लर हो गया हैं।''
शिल्पा ने कहा, ''लोग लगातार बेहतरीन कंटेंट पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम ऐसे समाज में रह रहे हैं जो अधिक समतावादी है। इसलिए, आप अपनी फिल्मों और अपने कंटेंट में इस बात पर विचार करते हैं कि आज की महिलाएं क्या हैं।''
शिल्पा ने कहा कि समय के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।
''यही वजह है कि शायद आपके पास दिल्ली क्राइम में एक मजबूत नायक की भूमिका निभाने वाली शेफाली शाह या शकुंतला में विद्या बालन या यहां तक कि आईपीएफ में तारा शेट्टी भी है। आपको समय के साथ चलना होगा।''
''मैं किसी भी दशक की तुलना अगले दशक से नहीं कर सकती। इसके बाद जो आएगा, कौन जानता है कि आगे क्या होने वाला है।''
--आईएएनएस
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