नई दिल्ली। सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या ने बॉलीवुड के पावर कैंप के निर्मम तरीकों पर चर्चा छेड़ दी है। खास कर उन युवाओं के लिए जो पूरे भारत से 'बाहरी' लोग के तौर पर अपने सपनों को साकार करने के लिए इस उद्योग में आते हैं और जिनका इस जगत में कोई गॉडफादर नहीं होता, उनके साथ कैसा बर्ताव होता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
फिल्म और टेलीविजन उद्योग की यह आम बात है कि जब तक आप उद्योग के किसी लोकप्रिय शख्स की संतान नहीं हैं, तब तक उन्हें आपकी कोई परवाह नहीं है और यह कतई नई बात नहीं है। यह पिछले कई दशकों से चला आ रहा है।
इस पर चर्चा तब शुरू हुई, जब अभिनेत्री कंगना रनौत ने कुछ समय पहले 'कॉफी विद करण' शो, जिसके मेजबान खुद करण जौहर हैं, उनको भाई-भतीजावाद का गॉडफादर कहा था, जो इंडस्ट्री में आने वाले स्टार किड्स की मदद करते हैं और उनके शुरुआती करियर बनाने में मदद करते हैं।
इस मामले में सुशांत और उनकी प्रतिभा दोनों असाधारण थे। वह इंजीनियरिंग में बेहतर करियर बनाने के लिए बिहार से आए थे, फिर बॉलीवुड के सितारों की सूची में तेजी से प्रवेश करने से पहले उन्होंने बैकअप डांसर और टीवी पर आने के लिए संघर्ष किया।
उनका बॉलीवुड का छोटा छह साल का करियर साल 2013 में शहरी मल्टीप्लेक्स हिट फिल्म 'काई पो चे' से शुरू होकर, उनकी अंतिम रिलीज फिल्म, जो पिछले साल बम्पर हिट हुई थी 'छिछोरे' थी। इस फिल्म में उन्होंने साबित कर दिया कि वह असाधारण अभिनेता हैं।
तो फिर अभी सोशल मीडिया पर यह खबर क्यों वायरल हो रही है कि बॉलीवुड के सभी शक्तिशाली बैनरों ने उनका 'बहिष्कार' कर दिया था?
इस सिद्धांत को राजनेता संजय निरुपम के शब्दों से मजबूती मिलती है, जिन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि सुशांत ने 'छिछोरे' फिल्म की सफलता के बाद सात फिल्में खो दीं थी, जिसे वे साइन कर चुके थे।
निरुपम ने पोस्ट किया, "उन्होंने सिर्फ छह महीने में कई फिल्मों को खो दिया। क्यों? फिल्म उद्योग की निर्ममता बहुत अलग स्तर पर काम करती है। और उस निर्ममता ने एक प्रतिभाशाली व्यक्ति की जान ले ली।"
आखिर क्यों उन्होंने इन प्रोजेक्ट्स को खो दिया?
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