दो दिन पहले, धर्मेंद्र जुहू स्थित अपने बंगले में थे और यह जानते हुए कि आठ दिसंबर को उनका 83वां जन्मदिन है, मैंने उनसे पूछा कि क्या उनका कोई ऐसा सपना है, जो अधूरा है। धर्मेंद्र इन दिनों अपना अधिकांश समय लोनावाला में अपने फार्म में बिताते हैं, जहां वह उर्दू में कविताएं लिखने में व्यस्त हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वह अत्यंत भावुक हो गए और उन्होंने कहा, ‘‘भगवान पंजाब के सानीवाल के रहने वाले इस गरीब के प्रति बड़ा दयालु रहे हैं, जो एक अभिनेता का सपना संजोए बम्बई आया था और वह भी यूसुफ साहब की मात्र एक फिल्म देखने के बाद। मुझे संघर्ष करना पड़ा और यहां तक कि कई बार मुझे भूखा भी रहना पड़ा था। मैं वापस पंजाब भी नहीं जा सकता था, मुझे यहां कोई छोटी भूमिका भी नहीं मिल रही थी। अर्जुन हिंगोरानी, मोहन कुमार, ऋषिकेश मुखर्जी, बिमल रॉय और ओ.पी. रल्हन जैसे महान फिल्मनिर्माताओं का धन्यवाद है, जिन्होंने मुझे इस तरह के किरदार दिए कि आज जो मैं हूं, वह बन पाया।’’
उन्होंने अभी भी मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया था और मुझे विभिन्न तरीकों से उन्हें यह याद दिलाना पड़ा। आखिरकार उन्होंने जवाब दिया और कहा कि उनका एक ही सपना था कि किसी फिल्म में दिलीप कुमार के साथ काम करना। कई बार ऐसा लगा कि उनका यह सपना साकार होने वाला है, लेकिन तभी रास्ते में कोई न कोई रोड़ा आ गया और उनका दिलीप साहब के साथ काम करने का सपना अभी तक पूरा नहीं हो पाया। दिलीप कुमार ने उन्हें प्रभावित किया था और जब वह पहली बार उनसे मिले थे तो उन्हें परिवार का हिस्सा समझकर उनके साथ बर्ताव किया था। लेकिन धर्मेंद्र उनके साथ काम करने का अवसर पाने के लिए हमेशा ही इंतजार करते रहे।
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