नई दिल्ली। बॉलीवुड अभिनेत्री रवीना टंडन फिलहाल बड़े पर्दे से दूर हैं, लेकिन देश के विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखने के साथ ही समाजसेवा का हिस्सा बन वह बतौर सेलिब्रिटी अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाती हैं। आजादी के 72वें साल पूरे होने पर रवीना कहती हैं कि ‘हमें आजादी का जश्न एक दिन नहीं, बल्कि हर रोज मनाना चाहिए।’ ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
स्वतंत्रता दिवस करीब है, देशवासियों को जश्न-ए-आजादी के लिए क्या संदेश देंगी? इस पर रवीना ने मुंबई से टेलीफोन पर आईएएनएस के साथ खास बातचीत में कहा, ‘‘आजादी का जश्न तो हमें हर रोज मनाना चाहिए और साथ ही हमें उन लोगों को धन्यवाद कहना चाहिए जो सीमा पर खड़े होकर हमारी रक्षा कर रहे हैं, जिनकी वजह से हम स्वतंत्रता दिवस मना पाते हैं...अपने घरों में खुशी से जी पाते हैं। हमें उनका आभार जताना चाहिए, जिन्होंने अपनी जान देकर हमें आजादी दिलाई है। यह एक दिन है जब हमें आजादी के लिए पूरी तरह से हमारे सैनिकों को धन्यवाद कहना चाहिए।’’
रवीना टंडन उन गिनी-चुनी बॉलीवुड हस्तियों में शुमार हैं जो ट्रोल्स और आलोचना की परवाह न करते हुए बतौर सेलिब्रिटी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाती हैं और बेबाकी से विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय साझा करती हैं।
रवीना स्फाइना बाइफिडा फाउंडेशन ऑफ इंडिया की ब्रांड एंबेसडर है जो गर्भवती महिलाओं में फॉलिक एसिड की कमी के कारण उनकी संतान में होने वाले स्फाइना बाइफिडा विकार के प्रति जागरूकता फैलता है।
इस कैंपेन से जुडऩे के बारे में पूछे जाने पर रवीना ने कहा, ‘‘मैं छह साल से इस फाउंडेशन से जुड़ी हूं। मुझे लगता है कि यह एक ऐसा विषय है जो मेरे बहुत करीब है। मैं खुद एक मां हूं और बच्चे को तकलीफ में देखना एक मां के लिए कैसा होता है, यह मैं समझ सकती हूं। यह एक ऐसी बीमारी है जो बच्चों में जन्म से होती है, लेकिन इससे बचा जा सकता है। इसलिए अगर आप जागरूकता फैलाएं तो गर्भवती महिलाएं अपनी होने वाली संतान को इससे बचा सकती हैं।’’
वह कहती हैं, ‘‘फॉलिक एसिड की गोलियों का पत्ता शायद आठ या 10 रुपये का है...यह मंहगा नहीं है, लेकिन इसके बारे में जागरूकता नहीं है, इसलिए जिन महिलाओं में फॉलिक एसिड की कमी होती है, उन्हें इसके बारे में पता नहीं चल पाता। इसके लिए जागृति फैलाने की बहुत जरूरत है।’’
अनुभवों के आधार पर आपको क्या लगता है कि सरकार कितनी जागृत और संवेदनशील है? यह पूछे जाने पर रवीना ने कहा, ‘‘देखिए यह एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) है, हम अब तक अपने एनजीओ के माध्यम से ही काम कर रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि सरकार भी इसके प्रति जागरूक है और बहुत ही जल्द हमें इस दिशा में कोई अच्छी खबर मिल सकती है कि सरकार और एनजीओ के साथ एक जागरूकता कार्यक्रम करने वाले हैं।’’
स्पाइना बाइफिडा से पीडि़त बच्चों के लिए को क्या कहना चाहेंगी? रवीना ने कहा, ‘‘अच्छी बात यह है कि स्पाइना बाइफिडा के 28वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने इस बीमारी की वजह से देश के साथ ही दुनिया भर के लोगों को जोड़ा, क्योंकि बहुत सारे लोग हैं जिन्हें इस बीमारी के बारे में जानकारी भी नहीं थी...उन्हें यह तक नहीं पता था कि उन्हें यह बीमारी कैसे हुई। इस फाउंडेशन के माध्यम से उन्हें यह पता चल पाया।’’
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