बॉक्स ऑफिस से जुड़े लोगों का कहना है कि उस जमाने में किसी ने नहीं सोचा
था कि दक्षिण भारत का इतना सांवला नायक हिन्दी सिनेमा में आकर सफलता का
परचम लहरायेगा। फिल्म निर्देशक टी.रामाराव को रजनीकांत की बॉलीवुड में
सफलता पर संदेह था जिसके चलते उन्होंने इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के लिए
एक विशेष भूमिका लिखाई। बताया जाता है कि जब फिल्म के रश प्रिंट देखे गए तो
फिल्म निर्माता ए.पूर्णचन्द्र राव ने टी.रामाराव को कहा कि फिल्म को सफलता
दिलानी है तो अमिताभ बच्चन की भूमिका को बढ़ाओ। कहा जाता है तब टी.रामाराव
ने पटकथा में अमिताभ बच्चन और अमरीश पुरी के कुछ और दृश्य जुड़वाये। यह
दृश्य था भाषण देते हुए अमरीश पुरी का अमिताभ बच्चन को देखना और फिर वहाँ
से भागते हुए अदालत में आना, जहाँ पर अमिताभ बच्चन उनका कत्ल कर देते हैं।
इस दृश्य के अतिरिक्त एक और दृश्य था वो था अमिताभ बच्चन का जेल के अंदर
अपनी पत्नी के हाथों लिखा आखिरी पत्र पढऩा। इस दृश्य में अमिताभ बच्चन ने
जो भावाभिव्यक्ति दी उसने कई दर्शकों को फिल्म को दोबारा देखने को मजबूर
किया था। ये भी पढ़ें - बाथरूम में ये ले जाना भूल जाते हैं अक्षय कुमार
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