छत टपकने से हो जाती है बारिश की आहट- ग्रामीण बताते हैं कि बारिश होने के छह-सात दिन पहले मंदिर की छत से पानी की बूंदे टपकने लगती हैं। इतना ही नहीं जिस आकार की बूंदे टपकती हैं, उसी आधार पर बारिश होती है। अब
तो लोग मंदिर की छत टपकने के संदेश को समझकर जमीनों को जोतने के लिए निकल पड़ते हैं। हैरानी में डालने वाली बात यह भी है कि जैसे ही बारिश शुरु होती है, छत अंदर से पूरी तरह सूख जाती है। ये भी पढ़ें - यह है स्वर्ग का झरना, जहां से कोई नहीं लौटा वापस
चूहे खा गए 19 किलो गांजा और भांग, अदालत में गवाही के दौरान हुआ खुलासा
उदयपुर के मेनार गांव में खेली गई बारूद की होली
डॉक्टरों ने किया मृत घोषित, रास्ते में पुनर्जीवित हुई महिला, अब सकुशल और ICU में है
Daily Horoscope